《जिदंगी》 जिदंगी वो रास्ता है, जिस पर एक बार चल दिए, तो वापस जाने का रास्ता ही ना मिले। जब तक हमारी साँसे चलती है, जिदंगी भी चल रही है, साँसे रूकी तो जिदंगी भी रूक जाती है। जिदंगी के मंजर बदल जाते हो, वो वक्त बदल जाता है, समा बदल जाता है। लेकिन जो नही बदलता तो वो प्यार, वो आँखे, वो दिल, वो पल जो हम सब एक दुसरे के साथ जीते है और वो ही माइंने रखते है, वो ही याद रखे जाते है। जिदंगी से इतना भी मत डरो की वो जीना मुश्किल कर दे, बस इतना डरो की वो हमारी मोत आसान बना दे और हम सर उठा कर, इस जिदंगी को अलविदा कर सकें। ~Kajal Kaushik
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