"चल आज तुझे-तुझ से रूबरू करवाती हू,
चल आज तुझे तेरी रूह से मिलवाती हू।"तेरे एहसान का भी सौ बार शुक्रिया.....》
यू जो तू हर बार मुझ से रूठ जाया करता है,
सच कहु तो मुझे तू बहुत रूलाया करता है।
और तुझे लगता है कि मै तेरी नाराजगी को सच मान जाती हू।
चल आज तुझे-तुझ से रूबरू करवाती हू,
चल आज तुझे तेरी रूह से मिलवाती हू।
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चल आज तुझे-तुझ से रूबरू करवाती हू,
चल आज तुझे तेरी रूह से मिलवाती हू।
याद है मुझे वो दिन, जिस दिन सच्चा प्यार हो गया है तुझसे, ये कहकर फिर किसी बात पर गुस्सा होकर तुने सब कुछ खत्म कर लिया था।
याद है मुझे और तुझे लगता है मेरे पास तेरे लिए टाईम नही है।
चल आज तुझे-तुझ से रूबरू करवाती हू,
चल आज तुझे तेरी रूह से मिलवाती हू।
ख्वाबो से थी दोस्ती मेरी,
जहाँ तेरी हर खुशी की वजह मै थी,
अब झूठा सा लगता है हर वो ख्वाब।
चल आज तुझे-तुझ से रूबरू करवाती हू,
चल आज तुझे तेरी रूह से मिलवाती हू।
राज है या कोई बात है,
या ये झूठा ख्वाब है।
सही है या गलत है,
धोखा है या फसाना।
ये तु है या मेरा वहम कोई,
जो अब तु मुझे मिला ना।
चल आज तुझे-तुझ से रूबरू करवाती हू,
चल आज तुझे तेरी रूह से मिलवाती हू।
भरम था या था कोई धोखा,
प्यार झूठा था या था कोई राज गहरा,
ये भी भरम मेरा ही था या थी मेरी तुमसे आस झूठी।
चल आज तुझे-तुझ से रूबरू करवाती हू,
चल आज तुझे तेरी रूह से मिलवाती हू।
याद हो ना बात हो,
जिदंगी हो ना आस हो,
ना कोई गहरा राज हो,
तु हो ना हम हो,
ना कोई झूठा साथ हो,
तो क्यु ये झूठा प्यार हो।
चल आज तुझे-तुझ से रूबरू करवाती हू,
चल आज तुझे तेरी रूह से मिलवाती हू।
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चल आज तुझे-तुझ से रूबरू करवाती हू,
चल आज तुझे तेरी रूह से मिलवाती हू।
~Kajal kaushik
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